लेखनी प्रतियोगिता -03-Feb-2023
एक कली मुस्काई फूलों के उपवन में
मंद मंद हरषाई बूंदों भरे सावन में।
कभी घास को छूकर देखा
कभी देख मुस्काई धूप
सब फूलों से अलग अनूठा
सबसे सुंदर उसका रूप
देती आशा का सम्बल बगिया को
सदा खिलेंगी कलियां यूं ही हर कानन में।
एक कली मुस्काई मेरे घर आंगन में
खुशियों की बदरी छाई मेरे सूने मन में।
गुड़िया जैसा रूप रंग और
फूलों जैसा भोलापन था
उसका रोदन भी अगणित
खुशियों का जैसे आवाहन था
उसकी जगह है ऐसे मेरे मन में
जैसे मनुष्य के प्राण बसे उसकी धड़कन में।
एक कली मुस्काई आशा बनके मन में
जैसे वीणा बज गयी मेरे जीवन में
बिन आशा के जीवन क्या हो
जीवन के वर्षों की गिनती भर
जब आशा मन की मर जाए
सारे लक्ष्य बने दुष्कर।।
आशा सदा रहे जीवन मे जैसे बर्षा श्रावण में
सारे लक्ष्य बने सम्भव मिले सफलता जीवन में।
रहें सदा मुस्काती कलियां
घर आंगन में वन उपवन में
आशा के सूखे दामन में
इस धरती के कण कण में।।
।
।
अदिति झा
06-Feb-2023 12:05 PM
Nice 👌
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Gunjan Kamal
05-Feb-2023 02:03 PM
शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻
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पृथ्वी सिंह बेनीवाल
04-Feb-2023 09:01 AM
बहुत खूब
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